ताने।
ताने।
नारी हूं मैं, ताने से तो जन्म से ही है मेरा नाता।
बेटी बन कर आ गई तू क्यों?
कितना अच्छा होता जो बेटा हो जाता।
यह भी ताना है ,
तब तो मुझे कुछ समझ ना आता।
मुस्कुराती रहती मैं यूं ही
कोई कुछ भी बोल जाता।
धीरे-धीरे समझ में आई
पढ़ कर सबसे अच्छे नंबर मैं लाई।
थोड़ा घर का काम अच्छे से सीख ले
वरना ससुराल से मिलेगी तुझको बुराई।
घर का काम भी सीख लिया मैंने।
सीख लिया कंप्यूटर भी और सीख ली सिलाई।
राह मुश्किल थी इसलिए रात रात मैं करती रही पढ़ाई।
करना तो तुमको चौंका चूल्हा ही है।
कागज काले करने से होगी भला क्या भलाई?
किसी ताने की परवाह नहीं थी मैं करती।
हर ताने पर पैर रखकर एक एक कदम आगे थी बढ़ती।
हैरान रह गए तब सब,
जब थी मैं यूपीएससी में नंबर वन पर आई।
अफसर बनकर जब मैं बैठी कुर्सी पर,
सबकी बोलती बंद हो आई।
तानों की क्या परवाह करना,
तानों को भला क्यों कर सुनना।
बहरे होकर अपने लक्ष्य को पाओ।
लोगों का तो काम ही है बोलना।
बुरा करोगे तो बोलेंगे
अच्छा करोगे तो बोलेंगे।
अपने अपने ज्ञान की सीमाओं से ही
वह तुमको भी तोलेंगे।
परवाह करो ना बढ़ो तुम आगे
ताने देने वाले लोग भी एक दिन तुम्हारे पीछे ही हो लेंगे।
