ताल्लुक़
ताल्लुक़
हमारी एक - एक बातें, अब तक भूला नहीं हूं मैं
तुमसे बिछड़ा जरूर पर, तुमसे जुदा नहीं हूं मैं
हमारा ताल्लुक़ ही मेरी सांसें हैं जान,
सो अब तलक जिंदा हूं, बिछड़ कर भी मरा नहीं हूं मैं,
समझ कहती है की दूर हो जाना बेहतर रहेगा हम दोनो के लिए,
अच्छा.. मतलब खुदकुशी कर लूं ? इतना नासमझ तो नहीं हूं मैं,
और ये गजलें लिखना मेरा पेशा नहीं है,
लेकिन अगर तुम्हारी याद आ जाए तो फिर रुकता नहीं हूं मैं।