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Pinki Khandelwal

Tragedy

4  

Pinki Khandelwal

Tragedy

स्वतंत्रता...

स्वतंत्रता...

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पंख मिले पर उड़ान नहीं,

छत मिली पर आसमां नहीं,

परिवार मिला पर अपना कोई नहीं,

आजादी मिली पर अधिकार नहीं,

सब कुछ मिला पर चुप रहना ही सीखा,

समानता शिक्षा का अधिकार मिला पर स्लेट पेंसिल नहीं,

बचपन में ही बढ़े होने का एहसास मिला,

पर बोल अपनी इच्छा व्यक्त करने का अधिकार नहीं,


स्वतंत्रता कोरे कागज पर पढ़ने को मिली,

पर बोल व्यक्त करने की आजादी नहीं,

स्वतंत्रता कुरीतियों से मिली,

पर लोगों की मानसिकता से नहीं,

ज भी हम घर की चारदीवारी में कैद है,

फिर भी कहने को हम स्वतंत्र है,

दिल में जज्बात है पर व्यक्त करने की आवाज नहीं,

फिर भी कहते सब हम स्वतंत्र है,


पैरों को पंख मिले पर जंजीरें नसीब में मिली,

कहने को अधिकार मिले पर हक नहीं,

बोलने की स्वतंत्रता है पर बोलने की आजादी नहीं,

भेदभाव खत्म हुआ पर घरों में अब भी जिंदा है,

लड़की पढ़ें लिखे यह अब भी घरों में किस्सा है,

फिर कैसी मिली हम लड़की को स्वतंत्रता,

जिस पर हमारा ही कोई अधिकार नहीं।


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