सूनसान जीवन
सूनसान जीवन
क्या हुआ है मेरे मन को,
ईतनी गहराई से सोच रहा है।
जो चली गई है मुझे छोड़कर,
उसको याद कर रहा है।
भूलना चाहता हूंँ मै उसको,
मुझ से भूला नही जा रहा है।
उसके प्यार में दीवाना बनकर,
मेरा दिल तड़प रहा है।
कैसे समझाउं मेरे मन को?
वो मेरा हाल नहीं जानता है,
मेरी आंखो से आंसु बहाकर,
मेरे चेहरे को हसा रहा है।
आज ये अकेलापन मुझको,
हरपल मेरा साथ दे रहा है,
"मुरली" तन्हाईयांँ में डुबाकर,
जीवन सूनसान बना रहा है।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ)
