सुरक्षा : एक मुहिम
सुरक्षा : एक मुहिम
उच्च कोटि का स्तर पाकर जीवन सफल बनायें,
कोटि-कोटि को रोजी देकर घर-घर दीप जलायें।
महत्व की बात तो अब केवल, ड्यूटी को लहू से सींचें,
कर्तव्य हमारा हमसे कहता न गलत पर आँखें मींचे।
न हमसे होगी गलती कोई, न दुश्मन चिंगारी सुलगाऐ,
बिक न सकेगा जमीर हमारा, चाहे जितना कोई भरमाये।
आग से बचें, दुर्घटना से बचें, न लापरवाही हो जाऐ,
खून-पसीने से स्थापित, ये साम्राज्य न खो जाऐ।
दुश्मन घात लगा कर बैठा, न उसको मौका मिल जाऐ,
ऐसा कुछ न कर गुजरे जो रोजी-रोटी छिन जाऐ।
एक ऑंख से सोकर हम दूजी ऑंख से जागेंगे,
जरा सी आहट होते ही दुश्मन के पीछे भागेंगे।
सुरक्षित वातावरण हो चहुँ दिश, आवाहृन के दीप जलाऐं,
सावधानी बन जाऐ आदत, सुरक्षा की मुहिम चलाऐं।