सुनती हो..
सुनती हो..
सुनने से थोड़ी थोड़ी बातें मन सुलझ सा जाता है ,
कह लेने से आपस में दिल का मैल जाता है,
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें जीवन के गलियारे में,
कुछ तुम सुनो कुछ हम सुनें मिल बैठें आ चौबारे में..!
मन की गिरह भी खुल जायेगी थोड़ा थोड़ा मिलने से,
सारी उलझन सुलझ जायेगी आपस में मिल जाने से,
बन कर कैंची चले जो रिश्तों पर रिश्ते दरक ही जाते हैं ,
वो बेहतर इंसा होते हैं जो उधड़ी सीवन को रफू कर जाते हैं ..!
कहना सुनना अ़च्छा है कहासुनी के होने से,
लब खोलो तो चाशनी टपके मजा आ जाये जीने में,
अकल्पनीय सा प्रतीत होता है मेरा तुम्हारा ये मिलन,
हो जायेगा छूमंतर जब मिटेंगे दरमियॉं हैं जो भेद..!!
आओ ना पास बैठो कभी फुर्सत से मिल भी लो,
काम वाम सब छोड़ छाड़ कर कभी "सुनती हो" कह भी लो,
दिल में मचती है हलचल प्रिय जब तुम मुझको ताकते हो,
दिल की बातें दिल से कर तुम बढ़ती दूरियॉं पाटते हो ..!!
प्यार एक मधुर मधुर सा अनोखा एहसास जीवन का ,
प्यार ही जीवन प्यार ही प्रतिक्षण तू अक्स मेरे यौवन का,
साथ साथ उठते कदम मंजिल की ओर प्रस्थान करे ,
बनायेंगे एक नई दुनिया रंगो भरी जहॉं प्यार के फूल खिलें..!!