सुलझा जीवन
सुलझा जीवन
आँधी हो या तूफान, जलाए रख चराग।
हौसले और हिम्मत की मत बुझने दे आग।।
आँखों पे सजा सपने हज़ार।
हो तेरा जीवन एक खुली किताब।।
हर धड़कन को जी ले, हर लम्हे को पी ले।
फिज़ाओ में उमंगो का आलम तू भर दे।।
हवाओं का रुख बदल सके रख खुद पर यकीन इतना ।
मंज़िल खुद आकर छूले बना ऐसा मुकद्दर अपना।I
हो जीवन खुले आसमान - सा सुलझा ।
रख न कोई तार - तार में उलझा।।