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RAJNI SHARMA

Romance Fantasy

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RAJNI SHARMA

Romance Fantasy

सुगंध के उपवन

सुगंध के उपवन

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माथे बिंदिया का श्रृंगार,

नैनन में कजरे की धार,

अधरो पर लाली लाल,

रूप है अद्भुत अपार।।


केशों की घनघोर लटें,

चूड़ियों की खन - खन,

गले में मोतियों के हार,

पायल रून झुन झंकार।।


आइना में निहारूँ मुस्काऊँ,                  

कर सोलह श्रृंगार इतराऊँ,

खुशियों की सौगात लेकर,

हर आँगन झिलमिल बहार।।


हृदय में प्रेम के दीप जलाऊँ,

मिलन आस में पल पल हरसूँ,

जीवन उत्सव में बासंती बन,

सुगंध के उपवन महकाऊँ।।


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