सुबह
सुबह
धरा पर छाई हरियाली, यह सुबह उमंगों वाली
रवि किरणें फैलाये प्रकाश, रोशनी उम्मीदों वाली।
बागों में पक्षियों के कलरव, मोहते हैं सबका मन,
ये प्राकृतिक संगीत मधुर, यह सुबह गीतों वाली।
खेतों में खिले पीले सरसों, जैसे हो पीली चादर,
नाचता मन मयूर यह देख, यह सुबह खुशियों वाली।
कही बैलों के गले में घंटी, कही गायों का रंभाना,
कही विरहा गाते हलधर, मदमस्त तानों वाली।
सुबह की यह सुंदरतम धूप , तृप्त होते हैं मन प्राण,
धरा पर हरित बिछी चादर, लगे धरा आशाओं वाली।