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Antariksha Saha

Tragedy Action Others

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Antariksha Saha

Tragedy Action Others

सतत संग्राम

सतत संग्राम

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सतत संग्राम ज़िन्दगी का अंग बन गए है

मज़दूर हूँ मजबूर नहीं

लॉकडाउन का बहाना दे के तुमने मेरी नौकरी छीनी

भूखे हम है तो भोजन छिना भी जा सकता है

किसान हूँ मेरे उत्पाद का दाम कॉर्पोरेट ठीक करेंगी

10 रुपए की मकई 200 रुपए में तुम बेचोगे

हमारे हक़ को मारोगे और हमें अदृश्य विकास की

कहानी सुनाओगे और हम मान जाएंगे

पहले जमींदार थे जो हम पर शोषण करते थे

अब कोरोर्पोरेट के हाथों तुम हमें बेचोगे

भूल ना जाना हम किसान है

भूख जो तुम्हें लगती है तो हम अन्न संस्तान है

हम बंजर ज़मीन पर अपने खून से

फसल उगा सकते है

तो हम इस बहरी सरकार के लिए

धमाका भी कर सकते है

जितने भी जल कमान तुम चलाओ

पेलेत गन की बौछार तुम करोगे

उतने हमारे हौसले बुलंद होंगे

जय मज़दूर जय किसान 


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