सतत संग्राम
सतत संग्राम
सतत संग्राम ज़िन्दगी का अंग बन गए है
मज़दूर हूँ मजबूर नहीं
लॉकडाउन का बहाना दे के तुमने मेरी नौकरी छीनी
भूखे हम है तो भोजन छिना भी जा सकता है
किसान हूँ मेरे उत्पाद का दाम कॉर्पोरेट ठीक करेंगी
10 रुपए की मकई 200 रुपए में तुम बेचोगे
हमारे हक़ को मारोगे और हमें अदृश्य विकास की
कहानी सुनाओगे और हम मान जाएंगे
पहले जमींदार थे जो हम पर शोषण करते थे
अब कोरोर्पोरेट के हाथों तुम हमें बेचोगे
भूल ना जाना हम किसान है
भूख जो तुम्हें लगती है तो हम अन्न संस्तान है
हम बंजर ज़मीन पर अपने खून से
फसल उगा सकते है
तो हम इस बहरी सरकार के लिए
धमाका भी कर सकते है
जितने भी जल कमान तुम चलाओ
पेलेत गन की बौछार तुम करोगे
उतने हमारे हौसले बुलंद होंगे
जय मज़दूर जय किसान