स्त्री में माँ विलीन
स्त्री में माँ विलीन
माँ सिर्फ वो नहीं
जो एक शिशु को जन्म दे
माँ तो हर नारी में मुझे दिखती
जब मैं अपनी अर्धांगिनी (प्रेयसी)
का निश्छल प्रेम देखता हूं
फिक्र की बूंदों में उसके आंसू देखता हूं अपने लिए
तो हां मैं उसे माँ से संबोधित करता हूं
एक माँ का उसके शिशु से जो
निश्छल और ममतामय प्रेम होता है
वो प्रेम जब मैं अपनी अर्धांगिनी (प्रेयसी)
अपनी बहन से पाता हूं तो हां
मेरे मुख से माँ शब्द बेहद करुणामय
हृदय से संबोधित होता है और मैं बेहद खुश होता हूं
जैसे एक छोटे बच्चे को खिलौना मिलने पे
हर्ष और खुशी मिलती है
अर्थात हर स्त्री में माँ विलीन होती है
बस उसके निखार इसके दर्शन के लिए
निश्छल ममतामय प्रेम का होना आवश्यक है।