ससुराल वालों का नेग
ससुराल वालों का नेग
बेटी के घर में आते ही
चिंता यही सताई
क्या क्या देना है मुझको
जब इसे आएगा लेने जमाई
अक्सर जब वो आता है
हमसे नाराज़ हो जाता है
हमें तो कुछ कहता नहीं
पर घर जाकर बेटी पर चिल्लाता है
कितनी भी खातिरदारी कर लो
उसके माथे की त्यौरी न टूटे है
पीहर में हँसती बेटी के
ऐसे ससुराल में भाग फूटे हैं
ससुराल पहुँचते ही बेटी से
सास पूछे क्या लाई
बस दो ही सूटकेस भर के भेजा
क्या तेरे माईके में कंगाली छाई
कितना भी करो सत्कार
पर जब बेटी की आँख में आँसू आते हैं
लेन देन ये नेग रिवाज़ सब
माँ बाप के दिल को दुखाते हैं।।
