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Pooja Yadav

Others

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Pooja Yadav

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वसंत धरा को महकाता है

वसंत धरा को महकाता है

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पत्थर की छाती से भी,

जब फूल नया खिलता है।

सूखे ठूँठ को चीर कर,

जब नया पात निकलता है।


जब पात पुराना झरता है,

नयी कोंपल के वास्ते।

सुगंध से भर जाते है,

हर उपवन के रास्ते।।


तब गगन भी मुस्काता है,

क्योंकि वसंत धरा को महकाता है।


जब फूलों का हर पराग कण

हो जाता है मधु से लबालब।

जब हर जन के मन का उत्साह,

चढ़ जाता है सातों आसमान जब।


जब काला भँवरा रंगभरी

तितली से होड़ लगाता है।

चम्पई अड़ियल फूल

जिद्दी मोगरे पर रौब जमाता है।


तब गगन भी मुस्काता है,

क्योंकि वसंत धरा को महकाता है।


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