प्रतिपल प्रतिक्षण
प्रतिपल प्रतिक्षण
तुम्हें महसूस करने के लिए छटपटाती हूँ,
तुम्हारे पास आने के लिए ठहर जाती हूँ,
बाहों की गोलाई में, आहों की गहराई से,
सिर्फ तुम्हें चाहती हूँ सिर्फ तुम्हें चाहती हूँ।
प्रतिपल प्रतिक्षण
तुमसे दूर हूँ ये सोच कर घबराती हूँ,
तुम्हें जान पाऊँगी इस विचार में खो जाती हूँ,
इंद्रधनुष के रंगों में, सागर की उजली तरंगों में,
बस तुम्हें देखना चाहती हूँ बस तुम्हें देखना चाहती हूँ।
प्रतिपल प्रतिक्षण
जिसे ढूँढ रही हूँ अपने में ही उसका आभास पाती हूँ,
उसके अस्तित्व से ही खुद को सम्पूर्ण जान पाती हूँ,
अपने ह्रदय के अर्श पर, आत्मा के स्पर्श में,
केवल तुम्हें पाती हूँ, केवल तुम्हें पाती हूँ।