अक्सर
अक्सर
अक्सर देखती हूँ तुम्हें खोते हुए
जब झाड़ती हूँ चादर हर रोज़,
और खोती हुई सलवटों में
अक्सर देखती हूँ तुम्हें खोते हुए।
बिखरे कपडों तौलिये को
तरीके से सहेजने में
अक्सर देखती हूँ तुम्हें खोते हुए।
तुम्हारी कड़वी बातों और
महामन्यता को भूलने की
कोशिश में
अक्सर देखती हूँ तुम्हें खोते हुए।
आम सी शख्सियत से खास हो गई
लोगों की चर्चा का विषय
मैं खास हो गई।
तुमसे दूर होकर मैं मशहूर हो गई
पर सब्र बड़ा मिला मैं तुमसे
दूर हो गई।
पहले तुम्हारा जाना एक
तुम्हें खोने का डर भी था
अब तसल्ली से बैठ कर
अक्सर देखती हूँ तुम्हें खोते हुए।
एक दिन खो जाओगे पूरी तरह
सब्र मिलेगा जो है जरूरी यहां,
इसीलिए अब तसल्ली से बैठ कर
अक्सर देखती हूँ तुम्हें खोते हुए।।