ये वक्त ठहर गया है
ये वक्त ठहर गया है
कहीं आग पिघल रही है
हवाएँ रुक गई है, फूल मुरझा रहे हैं।
मन और भावनाओं के,
रिश्ते कसमसा रहे हैं।।
पर ये वक्त चलना नहीं चाहता
तारे भी छुपना नहीं चाहते
और सूरज निकलता ही नहीं है।
ये चांद वक्त की दुआ से
तेज चलता भी नहीं है।।
एक वक्त के रुकने से
मेरे और तुम्हारे बीच की दूरी
खत्म होकर भी बनी हुई है।
पर इसका असर,
मुझ पर तुम पर ही नहीं
प्रकृति पर भी हो रहा है।।
इसके हर दस्तूर को बदलने की
कोशिश में लगा है।
पर चल नहीं रहा
ये वक्त
आज ठहर गया
जानता है न,
कि मेरी तुमसे मुलाकात जरूरी है,
करनी तुमसे कुछ बात जरूरी है,
इसीलिए, ये वक्त आज ठहर गया है।
प्रकृति के नियम को बदलकर
ये वक्त ठहर गया है।
आज ठहर गया है।।