सरदार
सरदार
होते सरदार इस देश में, मिलते नहीं भाँति-भाँति के लोग
नफ़रत की आग लगी शहरों में, पीड़ित है जातिवाद से लोग
सीखा न कुछ इतिहास से, गलतियाँ की है अनेक
किसी एक के अपराध से, हुए पलायन अनेक
सत्ता की भूख में मग्न है, इन्होंने सबको भड़काया है
एक के गुनाह के ख़ातिर, कौम को दूषित कहलाया है
राजनीति की आग में, दूसरों के चूल्हें बंद किए
कुछ अपनों के वोट के लिए, अखंडता पे प्रश्न किए
पूछेंगे श्री राम भी, क्यों अल्लाह को ठेस पहुँचाई
सिवाय नफ़रत के ज़हर के, तूने क्या की है कमाई ?
ऐसा नेता मत चुनिए, जो जाति को सर्वाधिक बनाए
किसी सत्पुरुष के भेष में, पूरा देश ये डुबाए।।
