देश का हाल
देश का हाल
अस्पतालों को इश्तहार देना पड़ गया है
देख बापू तेरे देश का क्या हाल हो गया है।
स्वादिष्ट भोजन एक स्पर्श पे मिल रहा है
किसान सूखे पेड़ पे रस्सी से लटक रहा है।
इमारतों ने आसमाँ पे कब्ज़ा कर लिया है
गाँव की गलियों में पानी ने घर कर लिया है।
रहने के आशियाने जगह जगह बहुत बन रहे हैं
रहने वाले हर परिवार में कम होते जा रहे हैं।
शहर में मज़दूरी हर कोई करना चाह रहा है
गाँव को कोई ताज नहीं बनाना चाह रहा है।
सबसे अमीर भारतीय का भी ये नसीब नहीं है
स्वछ हवा की व्यवस्था उसके लिए भी नहीं है।
अमीर गरीब भाई बंधु कोई कुछ नहीं देख रहा है
तेरी तस्वीर वाला कागज़ सबपे भारी पड़ रहा है।