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सफर ए ज़िन्दगी

सफर ए ज़िन्दगी

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ख़ुदा तेरी अदालत में,

चलेगा मुकदमा एक बार


ख्वाहिशें करेंगी याचिका,

कटघरे में खड़े होंगे हालात


सत्य-असत्य की लड़ाई में,

पेश किए जायेंगे सबूत


उम्मीद की लौ सजाई है,

उसे बचाने जूझ रहे सपूत


लगेंगे इल्ज़ाम ज़रूरतों पर,

पूरे नहीं हुए कुछ सपने


रोयेंगी ज़रूरतें तेरे दरबार में,

सपनों के खातिर गवाए हैं कुछ अपने


भूख की चीखें सवाल करेंगी,

ख़्वाबों से उनके जवाब माँगेगी


हुआ था जिनकी वजह से दुराचार,

एक बार तो करिए अपना विचार


बोझ जिम्मेदारियों का गर बढ़ गया था,

तो करते कुछ देर विश्राम


किसी की लाचारी का आधार बनाकर,

नहीं देते रिश्तों को आराम


सुनी सबकी बातें ख़ुदा ने,

सुना सब का अभिप्राय


लोभ मोह क्रोध से जो मुक्त हो जाय,

इंसान ऐसा ख़ुदा को पाय"


सफर ए ज़िन्दगी में कई

उतार-चढ़ाव होंगे 'पथिक


हिम्मत, साहस और कृतज्ञता से

रहना तू सटीक।।


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