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Pathik Tank

Inspirational

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Pathik Tank

Inspirational

तू हार मत, तू हार मत

तू हार मत, तू हार मत

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सफ़र के पड़ाव पकड़े हैं

दो राह पे न चल सके

न रुक सके


हाल अपना क्या कहे

किसको मुझसे प्रीत है ?

दुनिया की क्या रीत है ?

मन क्यों भयभीत है ?


थक गया जो राह में

पीछे छूटा राह में

आशा की परछाईं में

कुछ पल बिता विश्राम में


माँगता हूँ रब से

संघर्ष की तपिश दे

आग की लपेट में

तू बर्फ सा धैर्य दे


हालात की मार में

वक़्त को निचोड़ दे

उम्मीद की डोर में

खुद को अब छोड़ दे

संघर्ष की आग में

खुद को झंझोड़ दे

भूचाल हो ज़मीं पे

पाताल में तू स्थिर रहे


सोच मत दूर का

सोच तू आज का

आँधियों को रोक दे

खुद को उसमे झोंक दे


आसमाँ को चढ़ने में

बादलों को छूने में

गिरे जो तू मुँह के बल

कदम बदल फ़िर से

चढ़ तू हार मत, तू हार मत



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