आज की पीढ़ी
आज की पीढ़ी
अख़बार के पन्नों से पहले टिंडर खुलता है
आज की पीढ़ी की कठनाई बयाँ करता है
टकटकी लगाए अनजाने चहरों को ढूंढता है
खूबसूरती में उसकी वो ग़ालिब बन जाता है
उम्मीद की कश्ती वक़्त की चिंगारी पे जल रही है
डिजिटल पन्नों में अपनों की खोज चल रही है
इंस्टाग्राम पे सैकड़ो फॉलोवर्स की सूची लगी है
दिल में अकेलेपन के खिलाफ जंग छिड़ी है
सभी खुद को फ्रैंक और ओपन कहते है
इनबॉक्स में कभी कभी जात पूछ लेते है
कम्फर्ट ज़ोन से बाहर किसी को नहीं आना होता है
"लाइफ इस बोरींग" कहके हर रोज़ का रोना होता है
इंसानियत और राष्ट्रप्रेम केवल ऍफ़ बी पे दिखता है
हर चौराहे, हर मोहल्ले इनका ईमान बिकता है
सलाहें दुनिया भर की दे देते है
सुबह बिना अलार्म के उठा नहीं जाता है
बड़ी निडरता से स्टेटस अपडेट किए जाते है
अपराध के विरोध में आवाज़ नहीं निकाल पाते है
बेरोज़गारी पे बखूबी डिबेट कर लेते है
अपनी शिक्षा पे भरोसा तक नहीं रख पाते है
लोग डिग्रिया सारी हासिल कर लेते है
बुद्धिमत्ता के चंद छींटे भी नहीं छू पाते है
शोहरत की होड़ में इस कदर दीवाने हुए है
मोहब्बत की आग को सुकून समझ लेते है