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सपने में हूँ या फिर होश में हू

सपने में हूँ या फिर होश में हू

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बस यूँ ही चला था मैं,

के इक हसीं चेहरा देखना था मैं,

चलता चला गया मैं,

पीछे-पीछे उसे अपना बनाने को मैं।


हाथ चूमकर कह दूँगा,

प्यार हुआ है, हाँ, हुआ है तुमसे,

सोचा कुछ ऐसे, मैं कह दूँगा उनसे।


जो होश आया तो समझा के मैं,

यूँ ही सपनें में खो गया था मैं,

इक हसीन सपने में खो गया था मैं।


जरा ठहर जाना जैसे कह दिया मैं,

मुस्कुराई वह तो दिवाना हो गया मैं ।

हाथ चूमकर के कह दिया ये मैं,

हसीन हो तुम, दिवाना हो गया है गुम।

सपने में हूँ, या फिर होश में हूँ मैं,

बस तुमसे ये जानना चाहता हूँ मैं ।


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