सफर में अकेले
सफर में अकेले
दिल टूटने के लिये
दिल लगाना पहले जरुरी है क्या !
यूँ छोड़ के जा रही हो तन्हा
सफर में अकेले,
एक बार फिर से सोच लो
जाना जरूरी हैं क्या !
धीरे से पास आके
कानों में हल्के से कह दो,
कोई मजबूरी हैं क्या !
मैं जी लूंगा तन्हा,
सारी उम्र बिन तेरे,
पर मेरे बिना तुम्हारी
ज़िन्दगी पूरी हैं क्या !
आँधियों में दिया जलता नहीं है,
जिसे सच्चे दिल से चाहो,
वो क्यूँ मिलता नहीं हैं,
ऐ खुदा मेरे हाथों में मोहब्बत की
लकीरें ही नहीं हैं क्या !
या लिखने वाले ने हमारी कहानी
अधूरी ही लिखी हैं क्या !
दिल टूटने के लिये
दिल लगाना पहले जरुरी हैं क्या !
यूँ छोड़के जा रही हो तन्हा
सफर में अकेले,
एक बार फिर से सोच लो
जाना जरूरी है क्या !