Vikrant Kumar

Romance

4.8  

Vikrant Kumar

Romance

सोना माई लव

सोना माई लव

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अंबर में पंछी की कतार सी तुम।

समंदर में उठती लहरों की अंबार सी तुम।


उष्ण में शीतल बौछार सी तुम।

रेगिस्तान में ठंडी बयार सी तुम।


ऋतुराज बसन्त बाहर सी तुम।

तम में आशा की उजार सी तुम।


जीवन पथ पे मिले बिन मांगी मुराद सी तुम।

दुनिया के लिए सिर्फ एक नाम,

मेरे लिए सौगात परवर दिगार की तुम।



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