सोच
सोच
समझ नहीं आता मुझे
मैं क्या कहूं उन लोगों को
जो अपनी भूख मिटाने का
औरत को जरिया समझते हैं
उसके सिवा औरत को
वे कुछ भी नहीं समझते हैं
क्यों हैं उनकी सोच ऐसी
क्या सोचते रहते हैं
क्यों नहीं सोच पाते यह
उनकी मां,बहन और बेटियां भी औरतें हैंं
क्यों अपनी इस सोच को
यह बढ़ावा देते रहते हैं
क्यों हमेेशा औरत का
अपमान करते रहते हैं
क्यों औरतों को
धरती का बोझ कहते रहते हैं
उनके धरती पर आने का जरिया औरतें ही हैंं
यह क्यों नहीं समझते हैं!