सोच भाई सोच
सोच भाई सोच
चंदन है इस देश की माटी
तपोभूमि हर गाँव है...
हर बाला देवी की प्रतिमा
बचा बचा राम है...
यही तो हर एक राष्ट्रवादी की सोच है....
आप जो सोच रहे हो
वही सदियों से हम विश्व को बाँट रहे हैं।
हम विश्व गुरु हैं।
तुम जिसको सेकुलर्जीम कहते हो
हम उसको वसुधैब कुटुम्बकम मानते हैं।
तुम जिसको जातिवाद कहते हो
हमें वो स्वरोजगार सिखाता है।
तुम "पेटा' वाले हमको सिखाने लगे हो
हर जीव को दया करना वेद हमें सिखलाता है।
तुम विश्व पर्यावरण के भाषण देते हो
हम पेड़ को पिता-माता जैसे पूजते हैं।
पौधे को अपना बचा मानते है।
तुम अंग्रेजी भाषा के झंडे गाढ़ते हो
छिप छिप के संस्कृत सीखते हो।
अरे भाई ..
शरीर विज्ञान कोई हमसे सिखो
योग तत्व मुफ्त में हम बाँटते हैं।
(ऊपर की चार लाइन उद्धृत की गई हैं)
