सँवर जाएँ
सँवर जाएँ
चलो हम थोड़े-से सँवर जाएँ,
अपनी भूली-बिसरी बातों से निखर जाएँ,
जिन्दगी के पन्नों पर फिर कुछ लिख जाएँ,
प्यार भरी दुनिया बसा जाएँ ।
जीवन की तन्हाइयों से निकल जाएँ,
हाथों में हाथ लिए सफर तय कर जाएँ,
अपने गिले-शिकवे यहीं छोड़ आगे बढ़ जाएँ,
चलो हम थोड़े से और पास आ जाएँँ ।
अपने दर्द एक-दूसरे की जेब में डाल जाएँ ,
दिल के कोनों को फिर आबाद कर जाएँ,
होंठों पर फिर एक मुस्कान बिखेर जाएँ,
चलो एक-दूसरे की धड़कन में ही बस जाएँ ।
हम अपनी रूहों को उनका घर दिखा जाएँ,
अपनी हस्ती मिटा एक-दूसरे के हो जाएँ,
ज़़माने मेें एक-दूसरे के नाम से जाने जाएँ,
चलो हम कुछ और मशहूर हो जाएँ ।
प्यार करने वाले हमारा कसीदा पढ़ते जाएँ,
आंखों में जनून उतार जाएँ,
ज़़माने से फिर बगावत कर जाएँ ,
चलो तेरे-मेरे का ये किस्सा ही खत्म कर जाएँ।
चलो हम थोड़े से और सँवर जाएँ ।।