संकल्प कुछ कर दिखाने का
संकल्प कुछ कर दिखाने का
हौंसलों की उड़ान भर
कल हम भी पंछी बन जाएंगे।
गुलामी के इन पिंजरों को तोड़
खुद अपने घोंसलें बनाएंगे।
हर आंधी, तूफ़ान से लेंगे टक्कर
रुके बिना आगे बढ़ते जाएंगे,
आएगा जल्द वो दिन भी
जब हम अपनी आजादी
का जशन मनाएंगे।
समंदर की इन लहरों के आगे
अब हम भी तन जाएंगे,
आएगा जल्द वो दिन
जब इन लहरों के संग
हम भी तर जाएंगे।
गरजते बादलों से भी
अब हम ना घबराएँगे,
आएगा जल्द वो दिन
जब हम बिजली बन चमकाएंगे।
तेज़ हवाओं के संग
हम भी दोस्ती बढ़ाएंगे,
आएगा जल्द वो दिन
जब हम चिंगारी से ज्वाला बन जायेंगे।