समय
समय
समय की गति बलवान
जो नाप पाए वो महान
सुबह शाम कभी तू न
थकता तेरे आगे हर कोई
झुकता तू किसी का न
बना सहारा तेरे आगे
समय हर कोई हारा
समय के साथ कदम से
कदम मिलाकर है चलना
समय के नहीं है पाँव
इनके चलने की आवाज़
सुनाई देगी दिन रात
किसी के हाथों में तो
घर की दीवारों पर चाँद
से गोल चक्र में रहता
जो हमें समय समय
पर क़ीमत मूल दिखाता
समय किसी का साथ न
निभाता पर जो समय
का जो हाथ पकड़कर
चले ये उसी का हो जाता
समय के पास नहीं है
कोई रुकने का बहाना
समय पर जो समझ
गया वो ज्ञानी कहलाया
और जो न समझ पाया
इंसान समय की भाषा
वो अज्ञानी कहलाया
