STORYMIRROR

Madhu Vashishta

Action Inspirational

3  

Madhu Vashishta

Action Inspirational

समय की गति

समय की गति

1 min
111

समय अपनी गति से चलता रहा।

मैं भी तो यूं ही बढ़ता रहा।

नन्हे नन्हे हाथों को लेकर अपने हाथों में 

छोड़ कर आया था मैं उसको स्कूल एक दिन।

स्कूल के बाहर बैठकर मैं बुन रहा था सपने 

कि यह बड़ा होगा एक दिन।

पार्क में उसे घुमाते थे

हम दोनों उस के लिए नित नए सपने सजाते थे।

यूं ही समय बीत गया, बहुत कुछ था रीत गया।

आज उसी बेटे का पकड़ कर हाथ दोनों पार्क में घूमने जाते हैं।

उदास हो, बाहर बैठ, शून्य में वह निहारता है।

अस्पताल में अंदर जब हमारे इलाज के लिए वह हमें छोड़ता है।

यूं ही समय बदल जाता है।

नन्हा चुनमुन भी बड़ा हो जाता है।

 पहले हम उसे संभालते थे, अब वह हमें संभालता है।


 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action