स्मरण तो आया होगा!
स्मरण तो आया होगा!
मदोन्मत्त अम्बुज जब प्रबल गिरी से टकराया होगा...
स्याह घटा का श्यामल दृश्य जब छाया होगा...
समीर के कोमल झोंको ने जब मुरझाये मुख को
सहलाया होगा...
वर्षा का मधुर नीर जब प्यासे अधरों में समाया होगा..
स्वर्णिम अतीत का ध्यान उस बेला में स्वयं ही आया होगा!
अथाह जलधि से पूर्ण मिलन के लिए तत्पर तरंगिणी का
प्रवाह जब शीघ्रता से आया होगा...
दोनों का प्रीत संगम देख कर अधीर तन अवश्य
डगमगाया होगा...
प्रीतम के प्रणय का आभास यकयक ही आया होगा!
कली-कली फिरता, रस के लिए आतुर...
चंचल मिलिंद जब किसी पुष्प के निकट आया होगा...
साजन से संजोग के भाव ने चित्त को गुदगुदाया होगा...
दीपशिखा को स्पर्श करने के प्रयास में मग्न शलभ...
जल कर भस्म हो जायेगा!
इस विचार से नैनों में अक्षुओं का सिंधु लहराया होगा!
आत्मकथ्य ही नेत्रों के सम्मुख आया होगा!
उनको किसी अन्य के आलिंगन में देख कर!
निज खंडित हृदय स्मरण तो आया होगा !

