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Anubhuti Singhal

Romance

4.5  

Anubhuti Singhal

Romance

क़ैद ऐ मोहब्बत

क़ैद ऐ मोहब्बत

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313


ये सोचना गलत है की...तुम पर नज़र नही...

मसरूफ मै बहुत हूँ...मगर बेखबर नहीं!

गुमशुदा ख़यालों मे हूँ...मतलब ये नही की... 

तुम्हारे जज़्बातों का मुझ पर असर नही!

आंखे ख्वाबों में हैं...मगर हक़ीक़त से परे नही..

निगाहो ने निहारने मे तुम्हे छोड़ी है कोई कसर नही!

लापता हूँ गर...तो मर्ज़ी से अपनी...तुमसे बेज़ार नही!

तन्हाई है पसंद...ऐसा नही की...तुम्हारा इंतजार नही!

सदाएँ आती हैं तुम्हारी...लफ़्ज़ तो हैं कहने को..पर अभी इसरार नही...

लब ख़ामोश हैं मेरे...बेज़बान नही...मगर अभी इक़रार नही!

फ़ासले दरमियान हैं तो क्या...नज़दीकियां भी हैं कम नही...

तुमसे हूँ अलहदा ज़रूर...फिर भी तुमसे जुदा नही!

दिल बंजारा फिरता ही रहता है...जाने कौन सी मंज़िलो की तलाश मे...

रूहानी पंछी को लेकिन क़ैद ए मोहब्बत से इंकार नही!


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