हम भी देखेंगे!
हम भी देखेंगे!
रक़ीब बना लिया हबीब को, बेबाक गुरूर में...
तुझसे आशना हो कर हम भी देखेंगे!
शर्त पर शर्त लगाते रहे यारों से, ख्वामख्वाह जुनून में...
तुझसे दिल की बाज़ी लगा कर हम भी देखेंगे!
यलगार करते रहे दोस्तों से...फ़तह की जुस्तजू में...
तुझसे शिकस्त पा कर हम भी देखेंगे!
तदबीर, तरकीब सब आज़मा ली बुलंदियों की ख्वाहिश में...
तेरे हुज़ूर में तक़दीर का तमाशा हम भी देखेंगे!
निगहबान कितनों के बने, फरमाबरदारी की आरज़ू में...
तेरी रहनुमाई में आ कर हम भी देखेंगे!
बेचैन हो गए दिलोदिमाग की जद्दोजहद में ....
पनाह रुहानी में बन्दगी फरमा कर हम भी देखेंगे!