मगर उस डर का क्या जो अंदर घर करे है बैठा है मगर उस डर का क्या जो अंदर घर करे है बैठा है
तदबीर, तरकीब सब आज़मा ली बुलंदियों की ख्वाहिश में. तदबीर, तरकीब सब आज़मा ली बुलंदियों की ख्वाहिश में.