ताक रहे गगन को उबलते सूरज को मीठा भ्रम पाल वारिद का झेल रहे है । कभी बैठ विश्राम कर ताक रहे गगन को उबलते सूरज को मीठा भ्रम पाल वारिद का झेल रहे है । कभी बैठ ...
मंदाकिनी नयन अश्रुधारा लिए निहारें राह दीदार को तेरे। मंदाकिनी नयन अश्रुधारा लिए निहारें राह दीदार को तेरे।
सब कुछ छोडकर जाना होगा किन्तु एक दिन ! सब कुछ छोडकर जाना होगा किन्तु एक दिन !
सब मृगतृष्णा है सब मृगतृष्णा है
तृष्णा रूप को जानो तुम। मृगतृष्णा के भ्रम में ना आना मनुष्य। तृष्णा रूप को जानो तुम। मृगतृष्णा के भ्रम में ना आना मनुष्य।
ऐसे क्षण विस्मृत होकर भी हिय के कांटे बन जाते हैं! ऐसे क्षण विस्मृत होकर भी हिय के कांटे बन जाते हैं!