जाम तो ज़रा पिला!
जाम तो ज़रा पिला!
हम ही तन्हा हैं यहां, ऐसा क्यों बता!
दिल से पूछा तो एक ही जवाब मिला..
चल इस फरेबी दुनिया से दूर कहीं...
जहाँ राहत का हो आसरा!
कोई जगह समझ ना आई, मयखाना लगा भला!
साक़ी से बोले, करना है ग़म ग़लत...भाई...जाम तो ज़रा पिला !
जी लेंगे थोड़ा सा, कुछ तो सहारा हुआ...
बोतल ने कहकहा लगाया, हँसते हुए कहा...
ओ राही आ तो गया, पर ग़लत दर आ घुसा!
अरे! तूने साथी किसे चुना!
पि ले और कर ले ये शौक भी पूरा..
लेकिन!
सदियों को देख पीछे मुड़ के ज़रा...
तारीखें कितनी खड़ी गवाह!
मदिरा ने किसका किया भला!
शराब से कब किसको ग़मों से निजात मिला!