समझना मुश्किल है
समझना मुश्किल है
कितना आसान है समझाना,
लेकिन समझना मुश्किल है...
कितना आसान है तोड़ना रिश्तों को,
पर टूटे रिश्तों को जोड़ना कितना मुश्किल है..
कितना आसान है आगे बढ़ जाना,
पर पीछे लौटना मुश्किल है ...
कितना आसान है कहना भूल जाओ सब,
पर सब भूलना मुश्किल है...
कितना आसान है लहरों के साथ बहना,
पर लहरों को पकड़ना मुश्किल है...
कितना आसान है ख्वाबों में जीना,
पर ख्वाबों को हक़ीकत में बदलना मुश्किल है...
कितना आसान है किसी से मिलना,
पर उसी से बिछड़ना
मुश्किल है...
कितना आसान है औरों के बीच हंसना,
पर अपनों के बीच रोना मुश्किल है ...
कितना आसान है वक़्त के साथ चलना,
पर वक़्त को पकड़ना मुश्किल है...
कितना आसान है हालातों पर नज़र रखना,
पर हालातों को बदलना मुश्किल है...
कितना आसान है झूठ को सच में बदलना,
पर सच की राह पर चलना मुश्किल है...
कितना आसान है दिमाग़ को समझाना,
पर दिल को समझाना मुश्किल है...
कितना आसान है औरों को समझाना,
पर खुद समझना मुश्किल है....
समझना मुश्किल है....
समझना मुश्किल है...