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रचना शर्मा "राही"

Tragedy Inspirational

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रचना शर्मा "राही"

Tragedy Inspirational

इस रात की सुबह होगी

इस रात की सुबह होगी

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घना अंधेरा

डरा सवेरा।

कांपते हाथ

छूटता साथ।।

   चीखती आवाज़ें

   घटती सांसें।

   लाशों के ढेर

   सुनसान मुंडेर।।

भयावह मंज़र

पुकारते खंडहर।

जलती चितायें

रोती आत्माएं।।

   इंसान की विवशता

   हृदय की आकुलता।

   लाचार व्यवस्था

   सबकी विफलता।।

सब ओर हाहाकार

तेरा भक्त रहा पुकार।

हे प्रभु ! दे दो दर्शन

दिखलाओ चमत्कार।।

    उम्मीद की किरण 

    होगा नया सृजन।

    हौसलों की डगर

    आ रही है नज़र।।

घना अंधेरा छंटेगा

नया सूरज निकलेगा।

इस लंबी रात की

अब सुबह होगी।।



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