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Dhan Pati Singh Kushwaha

Drama Tragedy Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Drama Tragedy Inspirational

#SMBoss आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा

#SMBoss आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा

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विधि का विधान समझूं, या दुर्भाग्य था हमारा,

मुझे छोड़ कर चले तुम, फिर आओगे न दुबारा।

मैं खुद भी संभल सका न, बनता जो तव सहारा,

क्षणिक प्यार भी दे सका न, बना रहा बस दुलारा।

असीम प्यार तुमसे पाया,लेश ऋण भी नहीं उतारा,

मेरा जीवन संवारा तुमने,आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा।


मुझे माता-पिता की तुमने, कमी खलने कभी नहीं दी,

बढ़ते गर्म थपेड़े सह तुम्हीं ने, मुझे शीतल बयार दी थी।

सही शीत निशा की खुद तुमने, गरमाहट मुझे मिली थी,

अहसास अभावों का तो न हुआ,कुछ कमी न होने दी थी।

सदा जीवन सुखी हो मेरा, था यही लक्ष्य बस तुम्हारा,

मेरा जीवन संवारा तुमने,आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा।


बस यही अरमान थे हमारे, कि नाविक कुशल बनूं मैं,

सागर में इस जहां के एक,सफल केवट तो बन सकूं मैं।

दुआओं-प्रयासों के संग,इस कदर उलझे रहे सदा हम,

हम उम्मीद से भरे थे,कि थे अचानक ही चल दिए तुम ।

थी अंतिम घड़ी तुम्हारी और, मैं था लाचार बस बेचारा,

मेरा जीवन संवारा तुमने,आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा।


तुम्हारी सीखों और संस्कारों का ही है सहारा,

हैं वे ही मेरी शक्ति जिनसे जग में होगा गुजारा।

याद आते हैं निज जीवन के वे स्वर्णिम हिस्से,

मार्गदर्शन मिला तुम्हारा,जो आज भी हैं किस्से।

विनती प्रभु से है सदा, बनाएं सेवक मुझे तुम्हारा,

मेरा जीवन संवारा तुमने,आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा।


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