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सलाम

सलाम

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ख़ुद की चिंता छोड़ कर,

लड़ते रहे वो शान से

ताकि बच जाए अपना

तिरंगा हर अपमान से


हो रहे थे विस्फ़ोट कही,

चल रही थी गोलियां

फिर भी खेल रहे थे वो,

अपने खून की होलिया


वो भी किसी के बेटे थे,

थे पति बाप और भाई

देश की रक्षा के लिए,

अपनी जान दाव पर लगाई


देश के लिए स्वार्थहीन

जज़्बे को सलाम

सरहद पर लड़ने वाले

हर वीर को सलाम...!


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