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सज़ा ये कैसी मिली

सज़ा ये कैसी मिली

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वफा की चाह थी मूझको सज़ा ये कैसी मिली
दिलको भी मेरे मूहब्बत मे दगा कैसे मिली

मूझको चाहत मे सज़ा कौन दिया तेरे सिवा
दिल को नादानी की वजह से सज़ा कैसी मिली

दिल लगाने की सजा दिलसे दिलको ऐसे दिया
यादो मे आने की मूझको भी सजा कैसी मिली

कयो हुआ, कैसे हुआ, मूझको भी ईश्क कैसे हुआ
दिलको भी दिलसे मिलाने की सज़ा कैसे मिली

याद कूछ भी ना रहा, प्यार जब भी दिलमे रहा
कयो वफा करने पे दिलको भी सज़ा ऐसे मिली

चान्दनी रातो मे हमदम से मूखातिब मै रहा
दिल्लगी करने पे दिलको भी सज़ा कैसी मिली

युं तो मंज़र भी कसम दिलसे निभाता ही रहा
दिल खूशी चाहा तेरा उसकी सज़ा कैयी मिली


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