सिस्टर मॉरिटा
सिस्टर मॉरिटा
आज मुझे ज़ुकाम में,
सिस्टर मॉरिटा की याद आई।
नाक झाड़ रुमाल में वो,
मेरे शर्ट में पोंछा करती थी।
इतने बोक्की थे हम उनको,
उफ़ भी नहीं कर पाते थे।
घिन से मन ही मन में,
हम तो मर ही जाते थे।
माई चाईल्ड, माई चाईल्ड करके,
दिमाग़ ख़राब कर देती थी।
जब तक की पूरा पोटा,
मेरे शोल्डर में नहीं पोंछ लेती थी।
