आओगी क्या?
आओगी क्या?
मेरे दिल को सम्भाल के तुम सोते थे,
तकिये से लिपट के अब नींद आयेगी क्या ?
मेरा इश्क़ मज़हब बन चुका है,
तुम माथा टेकने आओगी क्या ?
तुमसे जुदाई दिल को सिला(पत्थर) कर गयी,
अब इस सुरत को मूरत बनाने आओगी क्या ?
तुम्हारी अदाओं जैसा कोई साक्ष्य न मिला,
मेरे फटे - टूटे हालातों का हाथ थामने आओगी क्या ?
सारी दहलीज बंद हाे चुके हे मेरे लिये,
मेरा आंगन सजाने फिर से आओगी क्या ?