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Ajay Gupta

Drama Others

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Ajay Gupta

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नारी

नारी

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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः

घर नाम को घर धाम जो कर दे वह है नारी,

दुःख अपना भूल सुख से झोली भर दे वह है नारी

बच्चे जिसके बिन एक पल भी नहीं रहते, वह है नारी

किसी का बैग, किसी का नाश्ता, कहीं स्कूल की है तैयारी

कही बर्तन, कही पोंछा, कही दूध की बोतल है लानी

साँस का जोड़ दर्द, ससुर को मधुमेह की है बीमारी

जूझ रही हर पल चेहरे पर मुस्कान लिए, वह है नारी 

 

स्कूल की पहली टीचर, तो कहीं जगत को गणित है पढ़ानी 

कहीं दौड़, कहीं बैडमिंटन, तो मुक्केबाजी और कुश्ती भी है दिखानी 

कहीं रेलवे काउंटर, रेलवे ऑफिस, तो कहीं मेट्रो भी है चलानी

कहीं फ्लाइट असिस्टेंट, कैबिन क्रू, तो कहीं फ्लाइट भी है उड़ानी

कहीं परमाणु, कहीं सैन्य, तो कहीं मंगल तक यान है ले जानी 

ऑफिस के हर क्षेत्र में जो निकले सबसे आगे, वह है नारी

 



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