सफ़र
सफ़र
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ज़िंदगी भर ख़ामोश रहो,
ज़रूरी तो नहीं
आवाज़ करो,शोर मचाओ
कुछ पल खुश रहो,
कुछ पल गम में बिताओ।
ज़रूरी तो नहीं
"सफ़र"हमेशा एक जैसा हो
फ़िक्र तो हजारों होंगी,
मगर हर बार थोड़ा न
ख़ुद को खोते रहोगे ?
दुनिया के बिन
जिया तो जा सकता है,
मगर इस सफ़र में
उस दुनिया को मत छोड़ना,
जो तुम्हारे अंदर बसती है।