बरज़ोरी
बरज़ोरी
तू है राधिका गोरी गोरी, तू है बरसाने की छोरी,
मैं बाट देखत हूँ तेरी, तू क्यूं करती है बरज़ोरी? ..
जब जब बृज़ में तू आती है, बृज की बसंत खिलती है,
पायल की छूम छननन छन से, लता पता लहराती है।
तेरी अदा है नखराली, तेरी आंखें है कजरारी,
मैं बाट देखत हूँ तेरी, तू क्यूं करती है बरज़ोरी? ...
सपनें में आके तड़पाकर, मेरी निंद क्यूं तू उड़ाती है?
तिरछ़ी आंखें नचाकर मुझ को, तू क्यूं तरसाती है?
तेरी चाल है मतवाली, मेरे दिल में बस जा प्यारी,
मैं बाट देखत हूँ तेरी, तू क्यूं करती है बरज़ोरी?...
शरद पूनम की रात खिली है, यमुना तट पे तू आज़ा,
सोलह शृंगार सज कर के अब , रास में नृत्य तू कर ज़ा।
मैं बजाऊं "मुरली" मधुरी, मेरी तान कर अब तू पुरी,
मैं बाट देखत हूँ तेरी, तू क्यूं करती है बरज़ोरी?...