सिखा दो
सिखा दो
ये हँसी ये मुस्कुराहट
ज़रा तुम मुझे सिखा दो
मेरे ग़म की वजह क्या है
ज़रा तुम मुझे बता दो
मै भी खिलखिला के हँस दूँ
मै भी राज़ ए दिल छुपा लूँ
ये हुनर तुझे पता है
ज़रा तुम मुझे सिखा दो
कभी ग़म अगर मिले तो
कभी दिल नज़र मिले तो
मै मिलूँ तपाक से भी
वही फन मुझे सिखा दो
कोई दर्द दिल अगर हो
कोई ग़मज़दा नज़र हो
उन्हे मै यकीन दिला दूँ
वो अदा ज़रा सिखा दो
तुझे दिल हमारा चाहे
ये ज़ुबान भी कह ना पाये
मेरे लब को बोलना भी
ज़रा तुम इसे सिखा दो
कभी रात चाँदनी हो
कभी चाँद सामने हो
मेरे दिल से राब्ता भी
ज़रा तुम सनम बढ़ा दो
वो हसीन पल भी चाहत
तेरे दिल से दिल को राहत
मेरे दिल की हर तमन्ना
कभी पूरा तुम करा दो
मेरी हर खुशी मे शामिल
मेरी ज़िंदगी की कामिल
मेरा ख्वाब दिल अधूरा
ज़रा सच भी तुम करा दो...।