सीख लो बांग्ला देश से
सीख लो बांग्ला देश से
छोटा देश निकाल चुका हमसे आगे
आज चिल्ला -चिल्ला के कह रहा है !
'हिन्दू देश न छोड़ें यह देश तुम्हारा है
धरती में तुम पले, वतन तुम्हारा है !
हमने अपने प्रयासों से मानचित्र ही
बदलकर एक नया देश बना डाला !
अपनी ही तूलिकाओं के हुनरों से
धर्म निरपेक्षिता का चित्र बना डाला !
पर भारत को अब क्या हो गया है ?
कहाँ से ऐसी सोच जहन में आयी ?
लोगों को तिरष्कार करें ये क्षण-क्षण
आलोचना तो कभी इनको नहीं भायी !
अपनी विभूतियों, अपने भाइयों को
कह रहें हैं, "निकल जाओ इस वतन से !
शरणार्थी के रूप धारण करके तुम भी
चले जाओ कहीं और अपने जतन से !
देश के मिट्टी में जन्मे हम बढ़े फूले फले
तुम कहो क्या न्याय हम इसको यूँ कहें ?
