देश के मिट्टी में जन्मे हम बढ़े फूले फले तुम कहो क्या न्याय हम इसको यूँ कहें ? देश के मिट्टी में जन्मे हम बढ़े फूले फले तुम कहो क्या न्याय हम इसको यूँ कहें ?
अधीनता में लिपटे अतीत से स्वतंत्र होने तक की प्रकिया एक कविता है। अधीनता में लिपटे अतीत से स्वतंत्र होने तक की प्रकिया एक कविता है।
तुम्हारे प्रति उनकी उदासीनता युगों-युगों की परंपरा रही है, तुम्हारे प्रति उनकी उदासीनता युगों-युगों की परंपरा रही है,
मानचित्र में जो दिखता है वह तो कल्पित भारत है, जन जन के हृदय में जो बसा, बस वही तो प्यारा भारत है मानचित्र में जो दिखता है वह तो कल्पित भारत है, जन जन के हृदय में जो बसा, बस वह...
हमेशा बनाती उस दुनिया के मानचित्र मैं, और तुम गढ़ते रहे तन की तस्वीर मेरी, हमेशा बनाती उस दुनिया के मानचित्र मैं, और तुम गढ़ते रहे तन की तस्वीर मेरी,
आओ आज... हिमाचल दिवस मनायें। हिमकणों से अभिषेक करके, हिम-आंचल की शान बढ़ायें। आओ आज... हिमाचल दिवस मनायें। हिमकणों से अभिषेक करके, हिम-आंचल की शान बढ़ायें।