तुम्हारा मौन
तुम्हारा मौन
तुम्हारा मौन उनके लिए लूट का अखाड़ा है
तुम्हारे मौन भूमि पर अपने स्वार्थ का महल खड़ा करते हैं,
अपनी माटी, जंगल, जल से तुम्हें बेदखल करते हैं,
तुम्हारे मालिकाना हक की मिट्टी पर
देश की योजनाओं का शिलान्यास करते हैं,
देश के मानचित्र पर तुम्हें मिटाने का प्रयास जारी है,
बस तुम्हारे मौन रहने पर।
तुम्हारा मौन उनके लिए स्वर्ण युग है।
तुम्हारे लिए बने योजनाओं से
अपने 'जन सेवक' की छवि को चमकाते हैं,
तुम्हारे प्रति उनकी उदासीनता युगों-युगों की परंपरा रही है,
तुम्हारे ऊंचे पद पर विराजमान होने पर भी
'प्रमोशन' का फाइल सबसे पहले उनके
उदासीन मन में गुम होती है।
तुम्हारे आंसू का कोई मोल नहीं,
क्योंकि उनके बाजार में आंसू का कोई दुकान नहीं है।
